६ जुलाई २०१३ : डॉ. अनिल हत्याकाण्ड : एक काला दिन
क्या मेरे नून के चौराहा, मोगलपुरा और लोदीकटरा के रहने वाले मित्र लोग आज के इस
काले दिन को भुला बैठे है.
आज ६ जुलाई का वो काला दिन जब मोची समाज के इस महान समाजसेवी सपूत को कुछ दलित
हित विरोधी हत्यारो ने मात्र इसके बिना किसी लाग-लपेट के किये जा रहे कार्यो से
चिढ कर गोली मार कर हत्या कर दी थी.
मेरे मित्र! भले ही आज तुम्हे लोगो ने, तुम्हारे परिवार
वालो ने तुम्हे भुला दिया, पर मै आज भी तुम्हे अपने यादो में संजो कर रखे हुए हूँ.
आज ६ जुलाई का वही काला दिन है. अनायास ही आज के दिन डॉ.
अनिल की याद आ जाती है. लानत भेजता हूँ अपने समाज के लोगो पर, मोची समाज के इस
महान सपूत के शहादत के बदले नून के चौराहा में एक भी यादगार स्मारक आज तक नहीं
बना.
ये तो मै भी जानता हूँ कि हमारे माननीय बुजुर्ग सदस्यों से
कुछ नहीं हो सकता, लेकिन मै ये वादा करता हूँ, कि जिस दिन मै चौघडा मोची पंचायत
भवन का अध्यक्ष अथवा सचिव बना, उस दिन सबसे पहले स्व. डॉ. अनिल की याद में नून के
चौराहा में हत्या स्थल के आस-पास एक स्मारक बनवाने की घोषणा करूंगा. माननीय
बुजुर्गो में से तो अधिकतर को सरकार ने ही रिटायर कर दिया है, और कुछ तो दुनिया से
रिटायर होने के इन्तजार में हैं. कुछ के हाथ-पाँव भी काम करना बंद कर दिया है और कुछ
के............? (स्वयं सोच ले, मै क्या बोलूं). अब इनसे होगा भी क्या? जर्जर हो
चुके भवन की दुर्दशा तो जग-जाहिर है.
समय से पहले इस से ज्यादा क्या लिखु? अभी तो पॉवर मेरे हाथ
में नहीं है. इतने बड़े काम के लिए अब एप्लीकेशन देने से थोड़े ही काम चलने वाला है?
पॉवर जब सीधे मेरे हाथ में आएगी तब अपने इस मोची समाज के हितो के लिए कुछ बड़े
फैसले लूँगा और धरातल पर कार्यान्वित भी करूंगा. अभी इन्तजार का समय है.
पुनः मेरे मित्र (स्व. डॉ. अनिल)! तुम्हे नम आँखों से एक
बार श्रद्धा सुमन अर्पण करता हूँ. तुम्हारे द्वारा किये गए उपकारों को नहीं भूला हूँ.
तुम्हारा एक पुराना मित्र और प्रशंसक :- अभिषेक कुमार
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