हिन्दू, हिंदुत्व और हिंदुस्तान की जीत



हिन्दू, हिंदुत्व और हिंदुस्तान की जीत


हाल में हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधान सभा के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की प्रचण्ड बहुमत से जीत ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का जादू अभी भारत की जनता से खत्म नहीं हुआ है। विरोधी भले ही कुछ भी बोलते रहें, पर वर्तमान भारत की अमन और शांति पसंद तथा विकास प्रिय जनता के हृदय सम्राट अभी वे ही हैं।
ये जीत भारत के सभी हिन्दुओं और हिन्दु सभ्यता प्रेमियों की है। ये जीत उन लोगों के मुँह पर करारा तमाचा है जो भारत की हिन्दु सभ्यता को दोयम दर्जे से देखते थे।
इस चुनाव के माध्यम से भारत की हिन्दु जनता ने एक बार फिर ये साफ कर दिया है कि वे अब जात-पात की राजनीति में बंटकर अपना किमती वोट बर्बाद करने वाले नहीं हैं। हिन्दुओं को बांटने की साजिष जो मध्यकाल से चली आ रही थी, वह अब लगभग समाप्त होने की स्थिति में है। गुजरात के चुनाव के रिजल्ट से जो पता चला कि लगभग 81 प्रतिशत मुसलमानों ने कांग्रेस को वोट दिया। निष्चित है कि बहुसंख्यक मुसमलमानों ने भाजपा को रिजेक्ट किया। बाकी के 19 प्रतिशत वोट भाजपा एवं अन्य दलों में बंटे होंगे। इसका अर्थ है कि हिन्दु सभ्यता का गुणगान गाने वाले, राम मंदिर को मुद्दा बनाने वाले भाजपा को मुसलमानों ने वोट नहीं दिया, उसे रिजेक्ट किया। लेकिन 81 प्रतिशत वोट न मिलने पर भी भाजपा जीत गयी। इसका अर्थ यही हुआ कि केवल हिन्दुओं के वोट से। अब हिन्दु समझदार हो चुका है। वह जाग गया है। ये जागरण केवल हिन्दुओं की नहीं, बल्कि संपूर्ण हिन्दुस्तान की है। अब हिन्दुओं को जात-पात में बांटकर, सम्प्रदाय में तोड़कर कोई राजनीतिक दल, विदेशी शक्ति राज नहीं कर सकती।
 वरना अब तक का तो यही इतिहास रहा है कि हिन्दुओं के विरूद्ध हिन्दुओं को ही लड़ाया गया है। अकबर के विरूद्ध महाराणा प्रताप चित्तौड़ में गंभीर संघर्ष कर रहे थे और महाराजा मानसिंह, राजा टोडरमल, राजा बीरबल (असली नाम - पं॰ महेष दत्त) अपनी बेटी-बहुओं को बादशाह अकबर के हरम में पहुँचाकर उस हिन्दु शेर के विरूद्ध लोहा ले रहे थे, जो कि अपनी राजपूती आन, बान, शान और संपूर्ण राजपूताने के स्वतंत्रता के लिए लड़ रहा था। इसी प्रकार औरंगजेब के विरूद्ध संघर्ष करने वाले सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के विपक्ष में पहाड़ी हिन्दु राजा औरंगजेब और उसके वजीर खान के दरबार में जी-हुजूरी कर रहे थे। उसके दरबार में कुछ सोने-चांदी और रियासत के लालच में सजदा कर रहे थे। इसी प्रकार मो॰ शमसुद्दीन गोरी के आक्रमण के समय जब पृथ्वीराज संपूर्ण भारत को एक कर संघर्ष कर रहे थे, उस समय जयचंद जैसे कुछ आस्तीन के साँप अपनी क्षुद्र पारिवारिक लड़ाई को अहमियत दे कर गोरी के लिए जासूसी का कार्य कर रहे थे और अपनी सेना से भी मदद की। लानत है उस समय से लेकर अब तक के हिन्दुओं पर जो मोइनुद्दीन चिश्ती, मो॰ गोरी के साथ उसका जासूस बनकर भारत आया था और भारत को तोड़ने की साजिष की थी, उस विदेशी जासूस के मजार पर आज न जाने कितने ही हिन्दु जाकर सजदा करते हैं। यह मोईनुद्दीन चिश्ती ने जबरदस्ती 90 हजार हिन्दुओं का बलात धर्म परिवर्तन करवाया था। तलवार का भय दिखाकर, अपने मुसलमान शासकों द्वारा अत्चार करवा कर, अनेक हिन्दु स्त्रियों का बलात्कार करवा इसने यह महान सूफी संत की उपाधि पाई। पता होना चाहिए की पृथ्वीराज के पतन के पश्चात् इस गंदे सूफी चिष्ती ने पृथ्वीराज चैहान की विधवा संयोगिता का बलात्कार करने के लिए लगभग 20 मुसलमान सैनिकों को प्रोत्साहित किया था। वो तो सही समय पर पृथ्वीराज की आठ बेटियाँ सैनिकों का वेष धारण कर आ गयी और वीरता से लड़ते हुए अपनी माँ को उन अत्याचारियों के चंगुल से आजाद कराया।
अब हिन्दुओं जब जागे हो तो फिर मत बंटना। वर्ना ये सोनिया मैडम तो अबकी बार बर्बाद कर के ही छोडे़ंगी। और वह मायावती जो दलितों की हित चिंतक बनती है, उनकी रहमनुआ कहलाती हैं, वे अपने निर्माणकर्ता श्री कांशीराम की जब नहीं हुई, तो भला अन्य किसी का कैसे हो सकती है। जिस प्रकार हनीप्रीत ने बाबा राम रहीम को उनके परिवार, बच्चे और पत्नी से अलग-थलग कर दिया, उसी प्रकार इस मायावती ने मान्यवर कांशिराम जी को उनके संपूर्ण परिवार से बिल्कुल अलग करवा दिया था। लालू जी के घोटाले और श्री मुलायम जी की गुण्डागर्दी जगजाहिर ही है। आनेवाले 30 वर्षों तक केवल भाजपा ही राज करने वाली है और अब कांग्रेस मुक्त भारत नहीं, विपक्ष मुक्त भारत चाहिए। गुजरात के चुनाव से बहुत ज्यादा खुश  होने की बात नहीं है, असली लड़ाई अभी केरल में बाकी है। लाल वामपंथ, खूनी कम्यूनिष्टों को हटाना ही असली जीत होगी।

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