राम को तो आना ही पड़ेगा
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मुहूर्त का समय आज 22 जनवरी 2024 को दोपहर 12:29:08 से 12:30:32 बजे का है. राम मंदिर के खिलाफ वकील खड़े करने वाले कॉंग्रेसी, राम भक्तों पर गोलियां चलवाने वाले समाजवादी, रथयात्रा रोकने वाले लालू का परिवार, मंदिर की जगह अस्पताल की बात करने वाला केजरीवाल…ऐसे लोग बिलबिला रहे हैं, हमें भी बुला लो मोदी जी… अयोध्या दुनिया का तीसरा पावर सेंटर होगा, टूरिस्ट की सुनामी आने वाली है उत्तर प्रदेश में… प्रदेश देश का सबसे बड़ा फोरेक्स रिजर्व लाने वाला राज्य बनेगा…
युग परिवर्तन होगा…
त्रेतायुग में भगवान राम जब प्रकट हुए थें तब भी शायद इतना बड़ा आयोजन नहीं हुआ होंगा जितना अब होनें वाला हैं जगह जगह से ऐसी ऐसी सूचनाएं आ रहीं हैं जिन पर यकीन नहीं होंता देश के किसी मंदिर से कोई सामग्री आ रहीं हैं तो किसी राज्य से कोई सामग्री आ रहीं हैं।
ऐसा कोई राज्य नहीं जहां से खास सामग्री नहीं आ रही हों नेपाल, मारीशस, अमेरिका और ना जानें किस किस देश से रामलला के लिए कौन कौन से उपहार आ रहें हैं बात देश के आम श्रद्धालुओं की करें तो उनके दिलों में तो राम नाम पर सर्वस्व लुटानें की तमन्ना हैं शताब्दियों बाद जो मिल रहें हैं भगवान श्री राम।
कलयुग में साकार हों रहा हैं त्रेतायुग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भगवान श्री राम का नाम पर बार बार लिखा जा रहा हैं.
भगवान राम पर वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास ने इतना लिख दिया हैं कि सामान्यजन का रोम रोम खिल उठा हैं, विश्वास नहीं हों रहा कि जो मंदिर पांच सौ सालों से नहीं बन पा रहा था वह अब बन गया हैं।
मन बार बार करता हैं चर्चा करें तो श्रीराम की करें, कलम उठाएं तो राम नाम पर उठाएं, राम के ही गीत सुनें, राम के ही नगमें गाएं, तभी तो देश में सर्वत्र राम राम की चर्चा हों रहीं हैं।
राम मंदिर पर फैसला शताब्दियों बाद आया अब राम मंदिर निर्माण का कार्य बड़े जोर शोर से चल रहा हैं मंदिर अभी उतना हीं बना हैं कि दशकों तक तम्बू में बैठाए गए बालरूप भगवान राम को उसी स्थान पर स्थाई निवास मिले जहां त्रेता में उनका जन्म हुआ था उसी जगह बना उनका मंदिर 500 साल पहलें तोड़ा गया था सदियों तक अपमान का घूंट पीता देश अपनें हीं घर में अपनी हीं अयोध्या में इस दिन की प्रतीक्षा कर रहा था वह दिन आज आ गया हैं।
अवध धन्य हैं अयोध्या धन्य हैं बस हमारा जन्म भी धन्य हों जाए हम भाग्यशाली हैं कि हम इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों के साक्षी बननें जा रहें हैं।
मेरी झोपड़ी के भाग आज जाग जायेंगे .....राम आयेंगे ...।सुबह से यही भजन सुन रहा। एक दो चार आठ बार।हर बार वही मधुरता। राम आयेंगे...राम आयेंगे। एक एक पंक्ति को सुनते हुए एहसास होता है राम का आना क्या है? यह विश्वास है। यह उम्मीद है। यह आशा है। राम आयेंगे एक सत्य है। राम आयेंगे एक चेतावनी है। राम आयेंगे एक प्रारब्ध है।
संतान के सुख से वंचित मां कौशल्या कितने दिन ये सोच सोच कर विचलित हुई होंगी कि राम आयेंगे। राम आयेंगे तो भरेगी मेरी सुनी कोख। नारी को ईश्वर को जन्म देने का सौभाग्य मिलेगा। वह जननी बनेगी। राजा दशरथ श्रवण के माता पिता का श्राप सुनकर घबराने से ज्यादा अभिभूत हुए होंगे कि हां पुत्र वियोग होगा। यानी पुत्र होगा। यानी राम आयेंगे। ऋषि ब्राह्मण ऐसा ही करते हैं, उनके दंड, उनके श्राप भी ईश्वर कृपा के साक्षी बनते हैं।
यज्ञ करते ऋषि मुनियों को भी प्रतीक्षा रही होगी कभी इन यज्ञों का फल मिलेगा। कभी राम आयेंगे। यज्ञ में अस्थि डालने वाले दैत्य भी सोचते होंगे कभी मुक्ति मिलेगी हमें, कभी राम आयेंगे। इस दृष्टि से देखता हूं तो दोनो के कर्म एक दूसरे के पूरक लगते हैं। दोनो के संयुक्त प्रयास से विधाता आते हैं। राम आए तो ऋषियों को यज्ञ का फल मिला। परमात्मा का दर्शन। लेकिन राम आए राक्षसों को दंड देने, उन्हें मुक्ति देने।
पाषाण बनी अहिल्या को भी उम्मीद थी राम आयेंगे। अरे गौतम के श्राप से बड़ा निकला आशीर्वाद उनका । राम आए। अहिल्या को दर्शन देने। क्या पता गौतम श्राप न देते तो राम आते ही न। केवट को पता था राम आयेंगे। उसके नाव की सवारी करने। गंगा को पता था आयेंगे। सबको पवित्र करने का सामर्थ्य बिना परम पवित्र राम से मिले कहां आता। सुतीक्ष्ण, अगस्त्य सबको ज्ञात था। मेरी कुटिया के भाग्य कभी खुलेंगे।
गुरुदेव के कहने पर गलियां बुहारती मां शबरी रटती रहीं राम आयेंगे। फूलों को चुनती। उन्हें बिछाती। एक आश। एक विश्वास। राम आयेंगे। उन्हें बेर खिलाऊंगी। कांटे वाले बेर को ही यह सुख मिलना था। प्रभु ने भोग लगाया तो भोलेनाथ ने सर पर धारण कर लिया। जलाभिषेक में बेर चढ़ने लगा।
सुग्रीव ने जैसे कष्ट सहे। उन्हें भी आशा थी। अब आयेंगे परमात्मा। उद्धार करने। बालि का जैसे अभिमान बढ़ा। उसे भी पता लग ही गया होगा। चल पड़े हैं मद चूर करने वाले। समुद्र को जितना दंभ था। उसे भी पता था राम उसे बांधने आ रहे हैं। असंभव को संभव तो परमात्मा ही करते हैं।
पक्षीराज जटायु इसीलिए तो लड़ गए। दे दिया प्राण। राम आयेंगे। गोद मिलेगी। जो सुख दशरथ को न मिला वह जटायु को मिल गया। जटायु की प्रतीक्षा बड़ी रही होगी। दसरथ ने जगदम्बा को जाने को कहा था। जटायु ने जगदम्बा को रोकने की कोशिश की।
अत्याचारी रावण को भी लगता रहा होगा कि राम आयेंगे। मुझे मुक्ति देंगे। अशोक वाटिका में बैठी मां जानकी को हमेशा पता था कि प्रभु आयेंगे और हर क्षण वहां पहरेदारी कर रही राक्षसियो को भी ज्ञात था की राम आयेंगे।
लात पड़ते ही विभीषण को पता लग गया। राम आयेंगे।
नंदीग्राम में बैठे महात्मा भरत जी को पता था करूणानिधान 14 साल बाद आयेंगे। अवध के हर नर नारी पशु पक्षी को पता था प्रभु आयेंगे।
प्रभु प्रतीक्षा का फल हैं। हर प्रतीक्षा के परिणाम के रूप में प्रभु आते हैं। अयोध्या में जले हर दीप की प्रतिक्षा पूर्ण हुई तो प्रभु आए। हर गीत, हर संगीत, हर लय, हर धुन है कि राम आयेंगे।
राम दुख को सहते हुए की गई प्रतीक्षाओ का फल हैं। सहने वालों, झेल रहे लोगों!
एक दिन तुम्हारे संघर्ष बड़े खूबसूरत ढंग से तुमसे टकरायेंगे ...... राम आयेंगे।
पाप करने वाले खुद सबक सीख जायेंगे.....राम आयेंगे।
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